हार्मोन'स के शरीर पर प्रभाव ?

     हार्मोन'स एक तरह के रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जो हमारे शरीर के अंगो को बताते हैं की क्या काम करना है, कितनी मात्रा में करना है, और कब तक करना है | हार्मोन'स ग्रंथियों द्वारा पैदा किये जाते हैं | अलग - अलग ग्रंथि अलग - अलग हार्मोन उत्पादित करती है और हर हार्मोन का अपना अपना काम होता है | यदि यह हार्मोन'स सही मात्रा में न बनें तब हमारे शरीर में कई तरह के विकार जैसे कुपोषण, कैल्शियम की कमी , खून की कमी, असमय बाल सफ़ेद होना , जल्दी बुढ़ापा आना , हाइट कम या जायदा होना और सुनने देखने की शक्ति का ह्रास होना आदि आ जाते हैं | इसलिए सभी हार्मोन'स का संतुलित अनुपात में रहना अत्यंत आवश्यक है | ये हार्मोन'स संतुलित तब रहेंगे जब इन्हे उत्पादित करने वाली ग्लैंडस या ग्रंथियां सही प्रकार से अपना कार्य करें | एक उदाहरण लेता हूँ मान लो आपका शरीर एक मकान है जिसमे आत्मा रुपी लोग रहते हैं |  कुछ व्यक्ति रखें हैं केयर टेकर टाइप जो खाने पीने और घर की देख रेख करते हैं | वो व्यक्ति तब सही काम करेंगे जब तक सैलरी समय पर आएगी | किसी  एक की सैलरी समय पर न दी जाए तो वह काम करता है पर न तो मन से करेगा और न हे ढंग से करेगा | उस एक व्यक्ति के ढंग से काम न करने पर पुरे घर का सिस्टम बिगड़ जायेगा | ठीक तब होगा जब उस व्यक्ति को देरी का कारण समझा के उसकी सैलरी दे दी जाये | अब हार्मोन'स पर आते हैं , हार्मोन'स का भी यही हाल है इनको संचालित करने वालो ग्रंथियों पर ध्यान न दो तो सही से हार्मोन'स उत्पादित नहीं करेंगी और कम ज्यादा ही करेंगी | 

     
     सबसे मुख्य ग्रंथि है पियूष ग्रंथि    ( पिट्यूटरी ग्लैंड ) जो कि मस्तिष्क में होती है जैसा चित्र में दर्शाया गया है |  ये ग्रंथि सात तरह के हार्मोन'स स्त्रावित करती है जो हमारे शरीर की ग्रोथ में बहुत आवश्यक हैं | ये ग्रंथि सही से कार्य करे इसके लिए हमें भ्रामरी उद्गीत प्राणायाम और ओ३म ओ३म उच्चारण करना चाहिए | दूसरी ग्रंथि थयरॉइड  ग्रंथि हमारे गले में होती है और ये हमारे शरीर की ग्रोथ को नियंत्रित करने वाला हार्मोन स्त्रावित करती है | हमारी ऊंचाई और बजन इसी ग्रंथि द्वारा स्त्रावित स टी च हार्मोन द्वारा नियंत्रित होता है | यह ग्रंथि सही से कार्य करे उसके लिए हमें उज्जायी प्राणायाम  करना चाहिए | इसी ग्रंथि के पीछे होती है पारा थाइरोइड ग्रंथि जो हमारे शरीर में कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करती है | इसके बाद आती है एड्रेनल ग्रंथि जो कि हमारी छाती में दोनों फेफड़ों के बीच स्थित होती है | इस ग्रंथि का काम कार्बोहाइड्रेट्स , प्रोटीन और वसा को पचाने का होता है , रक्त चाप नियंत्रित करने का होता है और कुछ द्वितीयक सेक्स हार्मोन'स स्त्रावित करने का होता है | ये द्वितीयक सेक्स हार्मोन'स हमारे शरीर में व्यस्क होने पर बदलाव पैदा करती है जिससे स्त्री और पुरुष का भेद स्पष्ट होता जैसे लड़को में दाढ़ी- मूछ आना | ये ग्रंथि सही से काम करे उसके लिए हमें ओ३म  उच्चारण , कपाल भांति , बाह्य प्राणायाम , अन्तः प्राणायाम और सूर्य नमस्कार करने चाहिए | ज्यादा एडवांस फायदों के लिए कोर स्ट्रेंथ की सभी एक्सरसाइज कर सकते हैं | आने वाले टॉपिक्स में सब डिटेल्स में बताऊंगा | सबसे लास्ट ग्रंथि है पुरुषो में टेस्टिस और महिलाओ में ओवरीज़ ग्रंथि | यह ग्रंथि सेक्स हार्मोन'स स्त्रावित करती है यदि किसी व्यक्ति को सेक्स से संबन्धित कोई भी विकार जैसे बच्चे न होना , कंसीव न हो पाना , कमजोर बच्चे दानी होना आदि हों तो आपको पैल्विक मासपेशी के व्यायाम करने चाहिए जैसे कि भुजंग आसान ( कोबरा पोज़ ) , प्लान्क पोज़,  ब्रिज पोज़ और नौकासन ( बोट पोज़ ) आदि करने चाहिए | 

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