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Showing posts from November, 2020

हार्मोन'स के शरीर पर प्रभाव ?

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     हार्मोन'स एक तरह के रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जो हमारे शरीर के अंगो को बताते हैं की क्या काम करना है, कितनी मात्रा में करना है, और कब तक करना है | हार्मोन'स ग्रंथियों द्वारा पैदा किये जाते हैं | अलग - अलग ग्रंथि अलग - अलग हार्मोन उत्पादित करती है और हर हार्मोन का अपना अपना काम होता है | यदि यह हार्मोन'स सही मात्रा में न बनें तब हमारे शरीर में कई तरह के विकार जैसे कुपोषण, कैल्शियम की कमी , खून की कमी, असमय बाल सफ़ेद होना , जल्दी बुढ़ापा आना , हाइट कम या जायदा होना और सुनने देखने की शक्ति का ह्रास होना आदि आ जाते हैं | इसलिए सभी हार्मोन'स का संतुलित अनुपात में रहना अत्यंत आवश्यक है | ये हार्मोन'स संतुलित तब रहेंगे जब इन्हे उत्पादित करने वाली ग्लैंडस या ग्रंथियां सही प्रकार से अपना कार्य करें | एक उदाहरण लेता हूँ मान लो आपका शरीर एक मकान है जिसमे आत्मा रुपी लोग रहते हैं |  कुछ व्यक्ति रखें हैं केयर टेकर टाइप जो खाने पीने और घर की देख रेख करते हैं | वो व्यक्ति तब सही काम करेंगे जब तक सैलरी समय पर आएगी | किसी  एक की सैलरी समय पर न दी जाए तो वह काम करता है पर न त...

पोषक तत्त्व क्या हैं ?

पोषक तत्त्व हमारे शरीर के विकास में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं | ये हमारे शरीर की वृद्धि , उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता तथा हमारे मानसिक विकास के लिए बहुत जरुरी तत्त्व हैं |  यह हमारा शरीर स्वयं पैदा नहीं कर सकता इनके लिए हमें भोजन की आवश्यकता पड़ती है |  पोषक तत्त्व मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं :-  १. वृहत या दीर्घ पोषक तत्त्व ( मैक्रो नुट्रिएंट्स ).  २. सूक्ष्म या लघु पोषक तत्त्व  ( माइक्रो नुट्रिएंट्स )  वृहत पोषक तत्त्व तीन प्रकार के होते हैं :- कार्बोहाइड्रेट्स , प्रोटीन और वसा |       कार्बोहाइड्रेट् :- कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर की ४५ से ६५ प्रतिशत ऊर्जा का स्त्रोत हैं | ये हमारे शरीर को काम करने के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं | ये ऊर्जा के सबसे तेज़ स्त्रोत हैं इसीलिए इन्हे इंस्टेंट एनर्जी स्त्रोत भी कहते हैं | कार्बोहायड्रेट के स्त्रोत दूध , दही , हरी पत्तेदार सब्जियां , आलू , शकरकंदी , मिक्स अनाज की रोटी , चावल , चने आदि |       प्रोटीन :- प्रोटीन सेल्स की बढ़ोतरी में आवश्यक होता है तथा शरीर की मरम्मत का काम भी करता ह...

स्वास्थ्य क्या है ?

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  स्वस्थ हम उसे कहते हैं जिसे मानसिक  एवं शारीरिक रोग न हो | अगर आपसे कोई पूछे कि आप कैसे हो तो आप कहते हो कि मैं अच्छा हूँ  या बढ़िया हूँ | पर तब जब हम शरीर में स्फूर्ति अनुभव करते हैं , मन शांत होता है और शरीर दिमाग के निर्देशों का सही रूप से पालन करता है | ऐसा करने के लिए हमारा मस्तिष्क बिलकुल ठीक होना चाहिए और सभी शारीरिक अंग भी विकारमुक्त होने चाहिए |  हम सभी जानते हैं कि हमारा शरीर सेल्स से  मिलकर बना होता है  | सेल्स हमारा शरीर की सबसे छोटी और आधारभूत इकाई है जैसे मकान के लिए ईंट |  आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ सुश्रुत संहिता में ऋषि ने लिखा है-   समदोषाः समाग्निश्च समधातुमलक्रियः। प्रसन्नात्मेन्द्रियमनः स्वस्थ इत्यभिधीयते॥   अर्थात्‌ जिसके तीनों दोष (वात, पित्त एवं कफ) समान हों, जठराग्नि सम (न अधिक तीव्र,न अति मन्द) हो, शरीर को धारण करने वाली सात धातुएं (रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और वीर्य) उचित अनुपात में हों, मल-मूत्र की क्रियाएं  भली प्रकार होती हों और दसों इन्द्रियां (आंख, कान, नाक, त्वचा, रसना, हाथ, पैर, जिह्वा, गुदा और...